अनोखा बन्धन
अनोखा बन्धन
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भाई की कलाई करती शोर
बहना बांधो प्यार की डोर
दो धागों में प्यार बहुत है
जिसका कोई ओर ना छोर
बहना बांधो प्यार की डोर
तुम बिन मेरी सूनी कलाई
बहना तुम्हें बुलाता भाई
हरदम तुमने बांधा धागा
जिससे मेरा भाग्य है जागा
मस्तक भी मेरा है सूना
लगा दो उसमें हल्दी चूना
भाई का प्यार बुलाता तुमको
नैना तरसे देखन को तुमको
अब ना देर लगाओ बहना
भाई लाया तुमको गहना
गहनों का तुम मान भी रखना
भाई का सम्मान भी रखना
भाई तुमको वचन है देता
आशीष सदा बहना से लेता
जीवन भर तेरी करूंगा रक्षा
पूर्ण करूंगा मन की इच्छा
कान्हा समान मैं भाई बनूंगा
द्रौपदी बहन की रक्षा करूंगा
मुझको कंश नहीं बनना है
बहना को दिल में ही रखना है
हो गई पूर्णिमा की है भोर
बहना अब बांधो प्यार की डोर
स्वरचित:- विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर
Gunjan Kamal
13-Feb-2023 10:45 AM
लाजवाब प्रस्तुति 👌
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डॉ. रामबली मिश्र
05-Feb-2023 09:43 PM
शानदार
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प्रिशा
04-Feb-2023 11:00 PM
👌👌👌
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